ऋषिकेश। परम विद्वान, परम वीतराग एवं परम विख्यात, प्रातः स्मरणीय, पूज्यपाद महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी महाराज, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, गीता‑जयंती के पावन दिन, मोक्षदा एकादशी तिथि पर, दोपहर 01 बजे, हरिद्वार में परमपिता परमात्मा के श्रीचरणों में अपने भौतिक शरीर को त्याग कर ब्रह्मलीन हुये।
पूज्य स्वामी जी महाराज कई महीनों से शारीरिक दुर्बलता, वृद्धावस्था की व्याधियों से ग्रस्त थे, दिल्ली व अनेक बड़े शहरों के अस्पतालों में उपचार चल रहा था, परन्तु अन्तिम निर्णय तो परमात्मा का ही होता है, आज वे ब्रह्मलीन हुये।
अभी विगत 15 अक्टूबर को पूरे परमार्थ परिवार ने उनके जीवन के 90 वर्ष पूर्ण होने पर दिव्यात के साथ उत्सव मनाया था। उनका जाना पूरे दैवीय सम्पद मंडल परिवार के लिये एक अपूरणीय क्षति है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि पूज्य स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी महाराज ने नौ वर्ष की आयु से ही अपने जीवन को परम पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन श्रीचरणों में समर्पित कर दिया। पहले वे शाहजहांपुर आए और वहाँ विद्या-अध्ययन किया, फिर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश पधारे जहाँ उन्होंने अध्यापन कार्य किया, साधना की और जीवन पर्यन्त पूरे विश्व से आने वाले श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते रहे।
स्वामी जी ने कहा कि उनका सरल, सहज और सब को अपना बना लेने वाला स्वभाव, उनके चिन्तन, उनके संस्कार, उनके सत्संग, उपदेश, और सनातन धर्म की सेवा में उनका अटूट समर्पण सदैव हमारे हृदयों में जीवंत रहेगा। दैवी सम्पद मंडल के माध्यम से जो सेवा, तपस्या, ज्ञान‑प्रसार, सामाजिक सहयोग और धर्मरक्षा के कार्य उन्होंने जीवन पर्यंत किये, वह हम सभी के लिये एक आदर्श, एक प्रेरणा और एक दीपशिखा है।
उनके उपदेश, उनके वचनों में सदैव “धर्म, श्रद्धा, कर्म, भक्ति, ज्ञान” गूँजता था और उन्होंने स्वयं उन आदर्शों का पूरा जीवन पालन किया। पूरे दैवी संपद मंडल एवं सम्पूर्ण परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि! कृतज्ञतापूर्ण प्रणाम! उनकी पुण्य स्मृति सदैव हमारे हृदय में जीवंत रहेगी एवं वे हम सबका मार्गदर्शन करते रहेंगे।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी और सभी ऋषिकुमारों ने उनकी आत्मा की शान्ति हेतु 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि अर्पित की। परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश में उनका पार्थिव शरीर दर्शनार्थ 2 दिसम्बर, 2025 दोपहर एक बजे तक रखा जायेगा। सभी श्रद्धालु, भक्त और अनुयायी उनके अंतिम दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण कर सकें। स्वामी जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी के आदर्शों को, उनकी दी हुई शिक्षाओं को, अद्भुत ज्ञान परम्परा की विरासत को हम आगे बढ़ाएँगे।
