उत्तराखंड / श्रीनगर
न्याय सेवाओं को पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुँचाने तथा “न्याय के लिए दिल्ली–देहरादून पलायन” की प्रवृत्ति को रोकने के संकल्प के साथ आज The Law Office of Abhishek Bahuguna की नई शाखा का विधिवत शुभारंभ भक्तियाना, निदेशालय तकनीकी शिक्षा के सामने, श्रीनगर पौड़ी गढ़वाल में किया गया

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री प्रमेश चन्द्र जोशी, अध्यक्ष – बार एसोसिएशन, श्रीनगर ने रिबन काटकर कार्यालय का उद्घाटन किया तथा इसे पर्वतीय न्याय व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बताया।
अधिवक्ता अभिषेक बहुगुणा, जो वर्तमान में उत्तराखंड उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में अधिवेशन कर रहे हैं, ने कहा कि
“पहाड़ से पलायन केवल रोजगार, शिक्षा या स्वास्थ्य तक सीमित नहीं — न्याय के लिए भी हो रहा था। आज यह कार्यालय खोलना न्याय के लिए रिवर्स पलायन की दिशा में पहला कदम है। ग्राम बालोंडी श्रीनगर के मूल निवासी अभिषेक बहुगुणा ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि पहाड़ के लोगों को उनके अपने घर पर ही उच्च स्तरीय शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य सेवाएं उपलब्ध हों जो कि मूल विकास की जननी है।”
कार्यक्रम में बार एसोसिएशन श्रीनगर के समस्त अधिवक्ता गण उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से —
प्रमेश जोशी, जगदंबा सेमवाल, विकास पंत, विजय लक्ष्मी रतूड़ी, चन्द्र भानु तिवारी, प्रदीप मैठानी, बी.एन. भट्ट, सुभोध भट्ट, सुधीर उनियाल, आर.पी. थपलियाल, प्रशांत नौटियाल, राजेन्द्र रावत, मुकेश सेमवाल, गौरव उपाध्याय, सुरेन्द्र सिंह रौथाण इत्यादि शामिल रहे।
इसके अतिरिक्त सामाजिक और व्यावसायिक संगठनों से भी गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही, जिनमें —
हिमांशु अग्रवाल (अध्यक्ष – रोटरी क्लब श्रीनगर),
संजय रावत (सचिव – रोटरी क्लब),
दिनेश असवाल (अध्यक्ष – व्यापार सभा श्रीनगर),
डॉ. के.के. गुप्ता एवं अन्य प्रतिष्ठित नागरिक सम्मिलित रहे।
कार्यक्रम के दौरान “पहाड़ के मुद्दों पर सार्थक विमर्श” भी आयोजित हुआ, जिसमें पलायन के समाधान, न्याय की पहुंच, युवाओं के भविष्य, पहाड़ में अवसरों के विकास तथा निष्काम सेवा व पहाड़ की उन्नति पर रचनात्मक चर्चा हुई।
अधिवक्ता अभिषेक बहुगुणा ने सभी अधिवक्ताओं एवं समाज के गणमान्य लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि
“यह चर्चा पहाड़ की आवाज़ को मजबूत करने का प्रयास है। हमारा लक्ष्य है कि उन्नति और संपन्नता का दरवाज़ा पहाड़ के हर व्यक्ति तक पहुँचे — बिना पलायन के।”
