-शब्दों से चेतना जगाए, संवाद से विश्वास बनाए : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
देहरादून। देहरादून में 47वें अखिल भारतीय जनसंपर्क सम्मेलन-2025 का भव्य उद्घाटन परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर माननीय मंत्री श्री गणेश जोशी जी, राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल जी, श्री बंसीधर तिवारी जी, आईएएस (मुख्यमंत्री के अपर सचिव, उपाध्यक्ष, एमडीडीए एवं महानिदेशक सूचना, उत्तराखंड सरकार), रूस से पधारे श्री मिखाइल मास्लोव (द एसोसिएशन ऑफ कंसल्टेंट्स कंपनिज इन पब्लिक रिलेशंस-एकेओसी) तथा पीआरएसआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजीत पाठक जी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
“सशक्त विकास, सुदृढ़ जड़ें- 2047 के लिए पीआर विजन” पर केंद्रित ऐतिहासिक आयोजन, पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित 47वें अखिल भारतीय जनसंपर्क सम्मेलन-2025 का आज उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित होटल एमराल्ड, सहस्रधारा रोड में भव्य एवं गरिमामय शुभारंभ हुआ। यह तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन (13-15 दिसम्बर 2025) भारत के जनसंपर्क एवं संचार जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होने जा रहा है।
उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में जनसंपर्क और संचार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विकास के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक जड़ों, मूल्यों और विरासत को संरक्षित रखना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, और इस दिशा में जनसंपर्क पेशेवर समाज, सरकार और नागरिकों के बीच सेतु का कार्य करते हैं। उन्होंने उत्तराखंड को ऐसे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विमर्शों व संवाद का केंद्र बनाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि संचार केवल सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि संस्कार, संवेदना और सत्य का वाहक होना चाहिए। उन्होंने इम्पावरिंग ग्रोथ, प्रिजर्विंग रूट्स विषय को भारत की आत्मा से जुड़ा बताते हुए कहा कि जब तक विकास करुणा, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक चेतना से जुड़ा नहीं होगा, तब तक वह पूर्ण नहीं हो सकता। उन्होंने संचार जगत से जुड़े लोगों का आह्वान करते हुये कहा कि वे भारत की सनातन परंपराओं, पर्यावरणीय चेतना और मानवीय मूल्यों को वैश्विक मंच तक पहुँचाने में अग्रणी भूमिका निभाएँ।
स्वामी जी ने कहा कि भारत में पीआर प्रोफेशनल्स केवल कम्युनिकेटर नहीं, बल्कि पॉजिटिव नैरेटिव के शिल्पकार होने चाहिए। पॉजिटिव नैरेटिव का शिल्पकार वही है जो शब्दों से चेतना जगाए, संवाद से विश्वास बनाए रखे।
पीआरएसआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजीत पाठक जी ने सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह आयोजन द पीआर विजन फार- 2047 को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है, ताकि भारत के अमृत काल में जनसंपर्क की भूमिका, जिम्मेदारियों और संभावनाओं पर गहन मंथन किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन नीति-निर्माताओं, संचार विशेषज्ञों, कॉर्पोरेट जगत, शिक्षाविदों और युवा पेशेवरों को एक साझा मंच प्रदान करेगा।
उद्घाटन सत्र में श्री मिखाइल मास्लोव (रूस) ने अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में जनसंपर्क की बदलती भूमिका पर प्रकाश डाला और भारत के सांस्कृतिक मूल्यों से प्रेरित संचार मॉडल की प्रशंसा की।
श्री बंसीधर तिवारी जी, आईएएस ने कहा कि उत्तराखंड सरकार जनसंचार को सुशासन और जनभागीदारी का सशक्त माध्यम मानती है।
सम्मेलन की थीम “सशक्त विकास, सुदृढ़ जड़ें” इस विचार को रेखांकित करती है कि विकसित भारत की यात्रा अपनी विरासत, संस्कृति और नैतिक मूल्यों के संरक्षण के बिना अधूरी है। उद्घाटन दिवस पर ही यह स्पष्ट किया कि यह सम्मेलन केवल पेशेवर विमर्श तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक गौरव और भविष्य के भारत की संचार रणनीति को दिशा देने वाला मंच है।
देशभर से आए जनसंपर्क विशेषज्ञों, संचार पेशेवरों और प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने उद्घाटन समारोह को अत्यंत जीवंत और प्रभावशाली बना दिया। उद्घाटन दिवस का समापन भारत के उज्ज्वल भविष्य, जिम्मेदार संचार और मूल्यों पर आधारित विकास के संकल्प के साथ हुआ।
