हरिद्वार
रुड़की। 7 दिसंबर संत निरंकारी सत्संग भवन, रुड़की आज सृजनशील ऊर्जा से सराबोर रहा, जब बाल संगत के बच्चों ने कला प्रतियोगिता में अपनी अनोखी कल्पनाशक्ति और अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया। 78वें वार्षिक संत समागम की आध्यात्मिक थीम ‘आत्ममंथन’ पर आधारित इस प्रतियोगिता ने बच्चों के मन की गहराइयों को रंगों और रेखाओं के माध्यम से जीवंत कर दिया

कार्यक्रम की शुरुआत ब्रांच मुखी सागर कुकरेजा जी के विशेष आशीर्वाद और प्रेरणादायी संदेश के साथ हुई। उन्होंने कहा कि ‘आत्ममंथन मनुष्य को अपनी वास्तविक पहचान से जोड़ता है और बच्चों में ऐसी सोच का विकसित होना मिशन के लिए शुभ संकेत है।’
उनके स्नेहपूर्ण शब्दों ने बच्चों में अद्भुत उत्साह भर दिया।
प्रतियोगिता में कक्षा 1 से 8 तक के छोटे-बड़े सभी बच्चों ने अपनी कलाकृतियों में आत्मचिंतन, सद्भावना, मानव मूल्य, सेवा, प्रेम और आध्यात्मिक जागरूकता को बेहद सुंदर रूप में प्रस्तुत किया। दर्शकों ने बच्चों की कल्पनाशक्ति, रंग संयोजन और विषय पर पकड़ की खुले दिल से सराहना की। हर चित्र एक संदेश था—और हर संदेश मन को छूने वाला।
कार्यक्रम में बाल संगत इंचार्ज गौतम जी, सेवादल संचालक नरेश कुमार जी सहित संत निरंकारी मिशन के अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे। सभी ने नन्हे कलाकारों का उत्साहवर्धन किया और उनकी मेहनत को मिशन का उज्ज्वल भविष्य बताया।
अंत में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन सौहार्द और कृतज्ञता के वातावरण में हुआ।
